
- मंजिल ना दे चिराग ना दे हौसला तो दे।
तिनके का ही सही तु मगर आसरा तो दे
2. मैंने यह कब कहा कि मेरे हक में हो जवाब। लेकिन खामोश क्यों है कोई फैसला तो दे
3. बरसों से मैं तेरे नाम पर खाता रहा फरेब। मेरे खुदा कहां है तू अपना पता तो दे
4. बेशक मेरे नसीब में तू रख अपना इकतीहार। लेकिन मेरे नसीब में क्या है यह मुझको बता तो दे।।
लेखक हनुमान गौतम उर्फ जख्मी राही
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