
एक एहसास आज भी महफूज है,।।
1. जो नहीं रखनी थी वह सब खामोशियां आज भी महफूज है, आपको जो नहीं भेजे वह जख्मी के सब संदेश आज भी महफूज हे
2. जिसम से जिंदा हु लेकिन, रूह से मैं मर चुका , यानी बल तो जल चुका लेकिन रस्सियां महफूज है
3. आ गया क्यों में सौदागरों की भीड़ में घर से निकल कर आज भी, जबकि मेरे लिए साल भर कि आज भी तनहाइयां महफूज है
4. सोचता हूं याद आना आपका आखरी है क्या जल चुका है सूखा पेड़ तो फिर यह पत्तियां महफूज क्यु है
5. इस कदर खुद से सवालात है जख्मी का जख्म खाकर भूलना, आपका रुह तक बार-बार दस्तक देना यह आप मे आज भी खूबियां महफूज है,।।
हनुमान गौतम उर्फ़ जख्मी राही।।







