
( सच कहता तो सोचो कितना बवाल होता )
1. समुद्र सारे शराब होते तो सोचो कितना बवाल होता हकीकत सारे ख्वाब होते तो सोचो कितना बवाल होता
2. किसी के दिल में क्या छुपा है यह बस खुदा ही जानता है। दिल अगर बेनकाब होता तो सोचो कितना बवाल होता
3. थी हमारी फितरत में खामोशी तभी तो वर्षो नीभ गई लोगों से। अगर मुंह में जवाब होता तो सोचो कितना बवाल होता
4. हम तो अच्छे थे पर लोगों की नजर में सदा बुरे ही रहे। कहीं हम सच में बुरे होते तो सोचो कितना बवाल होता
5. क्या खूब लिखा है लिखने वाले ने यह जख्मी का मन जानता है। अगर जख्मी राही खुद लिखता तो सोचो कितना बवाल होता। ।।
लेखक हनुमान गौतम उर्फ़ जख्मी राही
8278620863






