
।। हुस्न ने इश्क का तमाशा कर दिया ।।
1. मेरी निगाहों ने तेरे शब्दों को एक चैलेंज कर दिया, अपने ही होते हैं अपने दिल के
कातिल यह तेरी निगाहों ने खुलेआम कर दिया।
2. तुमने मजबूरी का वास्ता देकर अपने को मुझसे दूर कर दिया, जख्मी को तनहा कर महफिल में जख्मी के दर्द को नासूर कर दिया है
3. मुझे कोई शिकायत कोई गिला नहीं, वह दूर है तो कोई बात नहीं, ये राही अब उम्र भर किसी से मिलेगा नहीं यह खुले आम कर दिया
4. मोहब्बत एक व्यापार है हुस्न और इश्क का, पा कर खुशी खो कर गम, सरे रहा तमाशा कर दिया
5. हुस्न वफादार नहीं होता हुस्न ईमानदार नहीं होता, यह जख्मी का अनुभव कहता है दिलजले आशिकों से, हुस्न कभी गुनहगार नहीं होता।।
लेखक हनुमान गौतम उर्फ जख्मी राही
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